Archana Puran Singh भारतीय मनोरंजन जगत की एक चमकदार हस्ती हैं, जिन्होंने दशकों से दर्शकों का मनोरंजन किया है। वह एक बहुमुखी प्रतिभा हैं, जिन्होंने कॉमेडी से लेकर गंभीर भूमिकाओं तक सभी को बखूबी निभाया है। पर्दे पर उनका धमाकेदार अंदाज और बेबाक रवैया उन्हें हमेशा चर्चा में रखता है। आइए, हम अर्चना पूरन सिंह के करियर पर गौर करें और देखें कि कैसे उन्होंने फिल्मों और टेलीविजन दोनों में अपनी पहचान बनाई।
Archana Puran Singh का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
Archana Puran Singh का जन्म 1962 में उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों से घिरे देहरादून में हुआ था। वह बचपन से ही कलात्मक रुझान रखती थीं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा देहरादून में ही पूरी की और बाद में दिल्ली चली गईं। वहां उन्होंने प्रतिष्ठित लेडी श्री राम कॉलेज फॉर वुमन से स्नातक की डिग्री हासिल की। कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने नाटकों में भाग लेना शुरू कर दिया और यहीं से उनके अभिनय का बीज पड़ा।
फिल्मी सफर की शुरुआत
1980 का दशक भारतीय सिनेमा में एक बदलाव का दौर था। उसी दौरान अर्चना पूरन सिंह ने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा। हालांकि शुरुआत में उन्हें छोटी-मोटी भूमिकाएं ही मिलीं। उन्होंने 1984 में फिल्म “प्रेम ग्रंथ” से बॉलीवुड में डेब्यू किया। इसके बाद वह “मजबूर” (1984), “जलवा” (1987), “आज का गुलाम” (1989) जैसी फिल्मों में सहायक कलाकार के रूप में नजर आईं।
लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में सफलता पाना इतना आसान नहीं था। कई फिल्मों में काम करने के बावजूद उन्हें वह पहचान नहीं मिली जिसकी उन्हें तलाश थी। हालांकि, अर्चना हार मानने वाली नहीं थीं। वह लगातार संघर्ष करती रहीं और अपने आपको साबित करने के लिए तैयार थीं।
Archana Puran Singh कॉमेडी क्वीन का उदय
Archana Puran Singh के करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ 1990 का दशक लेकर आया। इस दशक में टेलीविजन का बोलबाला बढ़ा और कॉमेडी सीरियल दर्शकों के बीच खूब लोकप्रिय हो रहे थे। यही वह समय था जब अर्चना को कॉमेडी का असली मिजाज समझ आया। उन्होंने 1993 में सिटकॉम “देख भाई देखो” में “सपना” की भूमिका निभाकर दर्शकों को खूब हंसाया। उनकी कॉमिक टाइमिंग और बेबाक अंदाज ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई। “देख भाई देखो” की अपार सफलता के बाद, उन्होंने “आ हा!” (1997) और “बेता” (1999) जैसे कई अन्य सफल सिटकॉम में भी काम किया।
अर्चना ने कॉमेडी के क्षेत्र में अपना जलवा सिर्फ अभिनय से ही नहीं बल्कि बतौर होस्ट भी दिखाया। 1990 के दशक में उन्होंने कई लोकप्रिय कॉमेडी शो होस्ट किए, जिनमें से “वाह क्या सीन है” (1993) और “इंडियाज बेस्ट सिने कॉमिक्स” (1997) खास तौर पर उल्लेखनीय हैं। अपने चुटीले अंदाज और हाजिर जवाब से वह दर्शकों का मनोरंजन करती थीं।
विविध भूमिकाओं की धनी
यह सच है कि कॉमेडी ने अर्चना पूरन सिंह को सबसे ज्यादा पहचान दिलाई, लेकिन उन्होंने अपने आप को एक बहुमुखी कलाकार के रूप में स्थापित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने गंभीर भूमिकाओं में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। सीरियल “क्राइम पेट्रोल” में उन्होंने एक दमदार किरदार निभाया और फिल्म “आ गले लग जा” (2003) में भी दर्शकों को अपनी भावनाओं से प्रभावित किया।
अर्चना ने फिल्मों में भी विविध भूमिकाएं निभाई हैं। “जलवा” (1987) में “चंचल” का, किरदार को बखूबी निभाया है।
द कपिल शर्मा शो की जज
आजकल, अर्चना पूरन सिंह लोकप्रिय कॉमेडी शो “द कपिल शर्मा शो” में बतौर जज दर्शकों का मनोरंजन कर रही हैं। अपने मजाकिया टिप्पणियों और हंसी से वह शो में चार चांद लगा देती हैं।
बेबाक रवैया
अर्चना पूरन सिंह अपने बेबाक रवैये के लिए भी जानी जाती हैं। वह सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स को करारा जवाब देने से नहीं चूकतीं। हाल ही में उन्होंने एक ट्रोल को करारा जवाब देते हुए कहा था, “मैं 60 साल की हूं, लेकिन 20 साल की सोच रखती हूं।”
अर्चना पूरन सिंह निश्चित रूप से भारतीय मनोरंजन जगत की एक सफल हस्ती हैं। उन्होंने कॉमेडी, अभिनय और होस्टिंग के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा साबित की है। वह एक प्रेरणा हैं उन सभी महिलाओं के लिए जो अपनी उम्र और लिंग की सीमाओं को तोड़कर सफलता की ऊंचाइयों को छूना चाहती हैं।
अर्चना पूरन सिंह के बारे में कुछ रोचक तथ्य:
- अर्चना पूरन सिंह ने 1992 में भारतीय क्रिकेटर परविंदर सिंह से शादी की थी।
- उनके दो बेटे हैं, आर्यमन और पर्या.
- उन्हें 2013 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
- वह एक पशु प्रेमी हैं और उनके पास कई पालतू जानवर हैं।
अर्चना पूरन सिंह के कुछ प्रसिद्ध संवाद:
- “हंसी है सबसे बड़ी दवा.”
- “उम्र सिर्फ एक संख्या है.”
- “जिंदगी जीने के लिए है, डरने के लिए नहीं.”
अर्चना पूरन सिंह के बारे में अधिक जानकारी के लिए:
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