सिल्वर स्क्रीन पर स्वतंत्रता संग्राम: विवादों में घिरी Film Swatantra Veer Savarkar

Last updated on April 20th, 2024 at 01:44 pm

भारतीय सिनेमा का इतिहास स्वतंत्रता संग्राम के वीर सपूतों की कहानियों को पर्दे पर उतारने से भरा पड़ा है। हाल ही में रिलीज हुई फिल्म “Swatantra Veer Savarkar” भी इसी परंपरा का हिस्सा है। यह फिल्म विनायक दामोदर सावरकर, जिन्हें हम वीर सावरकर के नाम से जानते हैं, के जीवन और उनके क्रांतिकारी कारनामों पर आधारित है। फिल्म में रणदीप हुड्डा ने न केवल मुख्य भूमिका निभाई है, बल्कि इसका निर्देशन भी स्वयं किया है।

फिल्म रिलीज के साथ ही चर्चाओं का केंद्र बन गई है। हालांकि, ये चर्चाएं फिल्म की कलात्मक सफलता या असफलता के बारे में कम, बल्कि इसके कथानक और ऐतिहासिक चित्रण को लेकर ज्यादा हैं। आलोचकों की राय भी फिल्म के संबंध में विभाजित है। कुछ ने रणदीप हुड्डा के अभिनय की सराहना की है, वहीं कुछ का मानना है कि फिल्म ऐतिहासिक तथ्यों से इतर है और राष्ट्रवाद का अतिरंजित चित्रण करती है। आइए, इस लेख में हम फिल्म “Swatantra Veer Savarkar” की गहराई में जाएं और इसके कथानक, विवादों और महत्व का विश्लेषण करें।

Swatantra Veer Savarkar स्वतंत्रता संग्राम की ज्वाला: फिल्म का कथानक

फिल्म 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी के शुरुआत में ब्रिटिश राज के शासन के खिलाफ भारत में उठते हुए स्वतंत्रता संग्राम के माहौल को दर्शाती है। कहानी की शुरुआत विनायक दामोदर सावरकर के बचपन से होती है। फिल्म उनके क्रांतिकारी विचारधारा के विकास, “अभिनव भारत” जैसे क्रांतिकारी संगठनों के गठन और अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ उनके संघर्ष को बयां करती है। फिल्म में उनपर लगे आरोपों, उनके अंडमान जेल में कारावास और वहां किए गए भूख हड़ताल को भी प्रमुखता से दिखाया गया है।

veer savarkar movie

विवादों का मंच: Swatantra Veer Savarkar Movie की आलोचनाएं

फिल्म “Swatantra Veer Savarkar” को कई कारणों से आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। आइए, इन प्रमुख विवादों पर गौर करें:

  • ऐतिहासिक सटीकता का अभाव (Questioning Historical Accuracy): कुछ इतिहासकारों का मानना है कि फिल्म स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न पहलुओं, खासकर महात्मा गांधी जैसे अन्य नेताओं के योगदान के चित्रण में रचनात्मक स्वतंत्रता लेती है। उनका कहना है कि फिल्म ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करती है।
  • राष्ट्रवाद का अतिरंजित चित्रण (Overblown Portrayal of Nationalism): कुछ आलोचकों का तर्क है कि फिल्म राष्ट्रवाद का एक अतिरंजित चित्रण करती है। उनका मानना है कि फिल्म सांप्रदायिक विभाजन जैसे जटिल मुद्दों को नजरअंदाज करती है, जो उस समय भारत के राजनीतिक परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।
  • राजनीतिक एजेंडे का प्रचार (Propaganda for a Political Agenda): कुछ विपक्षी दलों का आरोप है कि फिल्म का निर्माण किसी खास राजनीतिक विचारधारा के प्रचार के लिए किया गया है। उनका कहना है कि फिल्म इतिहास को एकतरफा पेश करती है।

विवादों से परे महत्व: फिल्म का सार

विवादों के बावजूद, “स्वातंत्र्यवीर सावरकर” एक ऐसी फिल्म है जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण अध्याय को दर्शाती है। यह फिल्म वीर सावरकर के जीवन और उनके क्रांतिकारी विचारों को सामने लाती है, जिन्हें स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है। फिल्म दर्शकों को स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों के बारे में सोचने का मौका देती है।

फिल्म के कुछ महत्वपूर्ण पहलू:

  • वीर सावरकर के जीवन और विचारों का चित्रण: Film Veer Savarkar के बचपन से लेकर उनके क्रांतिकारी गतिविधियों, अंडमान जेल में उनके कारावास और उनके द्वारा किए गए कार्यों तक, उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती है। फिल्म उनके राष्ट्रवादी विचारों, हिंदुत्व की विचारधारा और उनके सामाजिक सुधारों के प्रयासों को भी दर्शाती है।
  • स्वतंत्रता संग्राम का माहौल: फिल्म 19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत में भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ उठे स्वतंत्रता संग्राम का माहौल दर्शाती है। फिल्म क्रांतिकारियों के संघर्ष, उनके बलिदान और स्वतंत्रता की भावना को दर्शाती है।
  • राष्ट्रवाद का चित्रण: फिल्म में राष्ट्रवाद का चित्रण एक महत्वपूर्ण पहलू है। फिल्म वीर सावरकर के राष्ट्रवादी विचारों और उनके देशभक्ति के भाव को दर्शाती है। हालांकि, फिल्म में राष्ट्रवाद के अतिरंजित चित्रण को लेकर भी कुछ आलोचनाएं हुई हैं।

Swatantra Veer Savarkar Movie Review:

पसंद करने वाले:

  • Randeep Hooda की एक्टिंग: कई लोगों को रणदीप हुड्डा की एक्टिंग काफी पसंद आई है। उनका मानना है कि रणदीप ने सावरकर के किरदार में जान डाल दी है।
  • राष्ट्रभक्ति का जज्बा: फिल्म देशभक्ति का जज्बा जगाती है और वीर सावरकर के त्यागों को दर्शाती है। कुछ लोगों के लिए ये फिल्म गर्व का विषय है।
  • इतिहास के भुलावे दिये पहलू: कुछ लोगों का मानना है कि फिल्म इतिहास के उन पहलुओं को सामने लाती है जिन्हें भुला दिया गया था।

नापसंद करने वाले:

  • एकतरफा कहानी: कई लोगों का कहना है कि फिल्म सावरकर का एकतरफा ही नजरिया दिखाती है। उनके विवादित पहलुओं को नजरअंदाज कर दिया गया है।
  • इतिहास से छेड़छाड़: कुछ आलोचकों का मानना है कि फिल्म इतिहास के साथ सेंध लगाती है और सच्चाई को तोड़ मरोड़ कर पेश करती है।
  • धीमी गति: फिल्म की धीमी गति कुछ दर्शकों को पसंद नहीं आई।

कुल मिलाकर:

ये फिल्म वीर सावरकर के जीवन पर आधारित है और दर्शकों को उनके बारे में जानने का एक मौका देती है। फिल्म को देखने का फैसला आपकी रूचि पर निर्भर करता है।

मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।

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