सुलतानपुर में मेनका गांधी की छवि: जाति-वर्ग के समीकरणों से ऊपर, जनसेवा का प्रतीक

मेनका गांधी: ‘मां’ के रूप में पहचान

सुलतानपुर में भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी की छवि ने जाति-धर्म के सीमाओं को पार कर लिया है। अपने ममत्व और संवेदनशीलता के कारण क्षेत्र के लोग उन्हें ‘माता जी’ कहकर बुलाते हैं। अपने क्षेत्र में सक्रियता और निष्पक्ष कार्यशैली के कारण वे दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं। यहां मेनका का मतलब ‘मां’ है, जो हर दुख-दर्द को समझती और उसका समाधान करती हैं।

राजनीति की धरोहर: वरुण गांधी से मेनका गांधी तक

2019 के चुनाव में भाजपा ने मेनका गांधी को पीलीभीत से सुलतानपुर भेजा, जहां उन्होंने अपने बेटे वरुण गांधी की राजनीतिक विरासत को संभाला। आठ बार सांसद और चार बार केंद्रीय मंत्री रह चुकी मेनका गांधी का लंबा राजनीतिक अनुभव और उनकी मेहनत ने उन्हें यहां लोकप्रिय बना दिया है। उन्होंने अपनी कार्यशैली और जनता के प्रति समर्पण से क्षेत्र में मजबूत पकड़ बना ली है।

जनता के बीच सक्रियता

मेनका गांधी जब भी सुलतानपुर आती हैं, तो वह तूफानी कार्ययोजना बनाकर जनता के बीच पहुंच जाती हैं। जिले की सीमा में प्रवेश करते ही वे जनता से मिलती हैं, सुख-दुख में शामिल होती हैं और चौपाल के जरिए समस्याओं का समाधान करती हैं। वे न केवल पीड़ितों को मरहम लगाती हैं, बल्कि अधिकारियों को भी उनकी जिम्मेदारियों का एहसास कराती हैं।

‘सभी मेरे परिवार का हिस्सा हैं’

मेनका गांधी अपने सभा मंचों से जनता को अपना परिवार मानती हैं। वे कहती हैं, “सब मेरे हैं, इनका दुख-दर्द मेरी तकलीफ है।” इस भावना के साथ वे जाति और धर्म से ऊपर उठकर समस्याओं का समाधान करती हैं। उन्होंने 46 दिनों में 718 नुक्कड़ सभाएं की हैं और हर दिन तूफानी दौरे कर रही हैं

चार हजार करोड़ की परियोजनाओं का दावा

मेनका गांधी अपने कार्यकाल में चार हजार करोड़ की परियोजनाओं को धरातल पर उतारने का दावा करती हैं। वे बताती हैं कि मेडिकल कॉलेज, नवोदय विद्यालय, पॉलिटेक्निक, कृषि विज्ञान केंद्र, और शहर की दो प्रमुख सड़कों को चार लेन बनाने के साथ बिजली आपूर्ति को सुचारू रखने के लिए करीब चार सौ करोड़ रुपये का कार्य हो चुका है।

गुंडे-बदमाशों पर सख्त, जातिवाद से दूर

जब मेनका गांधी पहली बार सुलतानपुर में चुनाव लड़ने आई थीं, तब यहां गुंडे-बदमाशों का खौफ था। लेकिन उन्होंने इस स्थिति में बदलाव लाया और अपराध करने वालों को किनारे कर दिया। वे जातिवाद की राजनीति को भी सख्ती से नकारती हैं, जिससे जिले की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति में सुधार आया है।

प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेनका गांधी को पत्र लिखकर और फोन पर बात कर उन्हें शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने पत्र में लिखा, “लोकसभा में कार्यकाल की दृष्टि से आप वरिष्ठतम सदस्य हैं। एक जनप्रतिनिधि के रूप में सदैव लोगों की आशाओं और अभिलाषाओं को साकार करने में सफल रही हैं। सुलतानपुर से सांसद के रूप में आपके कार्यकाल के दौरान बहुमुखी विकास हुआ है।”

सारांश

मेनका गांधी ने सुलतानपुर में जाति-वर्ग के समीकरणों से ऊपर उठकर जनसेवा की एक नई मिसाल पेश की है। अपने ममत्व, सक्रियता, और निष्पक्ष कार्यशैली के कारण वे क्षेत्र में लोकप्रिय हो गई हैं। प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा और जनता के बीच उनकी छवि ‘मां’ के रूप में उन्हें एक मजबूत और प्रिय नेता बनाती है। सुलतानपुर के लोग उन्हें केवल एक नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक सच्चे जनसेवक और ममता की प्रतिमूर्ति के रूप में देखते हैं।

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