Raj Thackeray, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के संस्थापक और प्रमुख, भारतीय राजनीति में एक जटिल और विवादास्पद शख्सियत हैं। उनका जीवन और राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। वह एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं जिन्होंने हिंदुत्व की विचारधारा को अपनाते हुए महाराष्ट्र के सांस्कृतिक गौरव और मराठी लोगों के हितों को मुखर रूप से उठाया है, लेकिन साथ ही उनकी राजनीति कई विवादों से भी घिरी रही है।
Raj Thackeray प्रारंभिक जीवन और राजनीतिक शुरुआत
Raj Thackeray का जन्म 14 जून 1968 को मुंबई में हुआ था। उनका पूरा नाम स्वराज श्रीकांत ठाकरे था, जिसे बाद में उन्होंने बदलकर राज ठाकरे कर लिया। वह शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के भतीजे और कुन्तल ठाकरे के पुत्र हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि राज ठाकरे बचपन से ही राजनीतिक माहौल में पले-बढ़े थे। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स, मुंबई से प्राप्त की। राजनीति में आने से पहले राज ठाकरे कला के क्षेत्र में भी रुचि रखते थे।
अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत राज ठाकरे ने अपने चाचा बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना से की। शिवसेना की विचारधारा, जिसमें हिंदुत्व और मराठी मराठा राष्ट्रवाद प्रमुख थे, राज ठाकरे को काफी प्रभावित करती थी। शिवसेना के मुखपत्र ‘मर्मिक’ में उन्होंने एक कार्टूनिस्ट के रूप में काम किया। उनके शुरुआती कार्टून शिवसेना की विचारधारा को ही दर्शाते थे। इस दौरान वह शिवसेना के प्रचार अभियानों में भी सक्रिय रूप से शामिल रहे। उनके तीखे भाषण और करिश्माई व्यक्तित्व ने उन्हें पार्टी के भीतर जल्द ही पहचान दिला दी।
शिवसेना से अलग होना और मनसे की स्थापना
2006 में, एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में, Raj Thackeray ने शिवसेना से अलग होने का फैसला किया। उनके अलग होने के पीछे कई कारण माने जाते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि शिवसेना के भीतर नेतृत्व परिवर्तन की उनकी इच्छा पूरी नहीं हो पा रही थी। वहीं कुछ का कहना है कि शिवसेना के नेतृत्व के साथ उनकी वैचारिक मतभेद बढ़ते जा रहे थे। इन मतभेदों में से एक माना जाता है कि शिवसेना धीरे-धीरे अपने मूल हिंदुत्व और मराठी राष्ट्रवाद के विचारों से हट रही थी।
2006 में शिवसेना से अलग होने के बाद राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की स्थापना की। मनसे की विचारधारा काफी हद तक शिवसेना की मूल विचारधारा से मिलती-जुलती थी। मनसे ने खुद को एक दक्षिणपंथी मराठी राष्ट्रवादी पार्टी के रूप में स्थापित किया, जिसका मुख्य फोकस महाराष्ट्र में मराठी लोगों के हितों को सुरक्षित करना और राज्य में मराठी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देना था। मनसे ने यह भी दावा किया कि वह भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी के खिलाफ लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।
मनसे का उदय और विवादों का दौर
मनसे की स्थापना के बाद पार्टी ने तेजी से जमीनी स्तर पर पैर पसारना शुरू किया। Raj Thackeray का करिश्माई व्यक्तित्व और उनकी आक्रामक राजनीतिक शैली, खासकर युवाओं को आकर्षित करने में सफल रही। 2009 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में मनसे ने 13 सीटें जीतीं, जो एक नई पार्टी के लिए एक शानदार प्रदर्शन था। इसके बाद मनसे ने 2014 के लोकसभा चुनावों में भी भाग लिया और 4 सीटें जीतने में सफल रही।
हालांकि, मनसे को अपनी सफलता के साथ ही विवादों का भी सामना करना पड़ा। राज ठाकरे पर अक्सर भड़काऊ भाषण देने और उत्तर भारतीय प्रवासियों के खिलाफ नफरत फैलाने का आरोप लगाया जाता रहा है। 2008 में, मनसे कार्यकर्ताओं ने मुंबई में बिहारी प्रवासियों के खिलाफ हिंसा की, जिसके बाद पार्टी की छवि को भारी नुकसान हुआ। इसके अलावा, मनसे ने मराठी भाषा को राज्य में अनिवार्य बनाने की मांग को लेकर भी आंदोलन किया, जिसके कारण भी पार्टी विवादों में घिरी रही।
हालिया राजनीतिक गतिविधियां
हाल के वर्षों में, मनसे का राजनीतिक प्रभाव कम हुआ है। 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी कोई भी सीट जीतने में असफल रही। 2022 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में मनसे ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन उसे केवल 1 सीट पर जीत मिली।
हालांकि, Raj Thackeray अभी भी महाराष्ट्र की राजनीति में एक सक्रिय व्यक्ति हैं। वह अक्सर सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त करते रहते हैं। उनकी पार्टी, मनसे, भले ही पहले जैसी प्रभावशाली नहीं रही, लेकिन यह अभी भी महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
निष्कर्ष
राज ठाकरे एक विवादास्पद व्यक्ति हैं, जिन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उनकी पार्टी, मनसे, मराठी राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए जानी जाती है, लेकिन इसे अक्सर विवादों का भी सामना करना पड़ा है। यह देखना बाकी है कि राज ठाकरे और मनसे का भविष्य महाराष्ट्र की राजनीति में क्या होगा।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राज ठाकरे और मनसे के बारे में कई अलग-अलग राय हैं। कुछ लोग उन्हें महाराष्ट्र के हितों के लिए लड़ने वाला एक साहसी नेता मानते हैं, जबकि अन्य उन्हें एक विवादास्पद और विभाजनकारी व्यक्ति मानते हैं।
यह भी पढ़ें:
Afghanistan और Pakistan के बीच बढ़ता तनाव: सीमा पर हवाई हमले और जवाबी कार्रवाई
Shashi Kapoor: कपूर खानदान और बॉलीवुड का चमकता सितारा
Womens Ipl 2024: चमकते सितारों और रोमांचक मुकाबलों का महाकुंभ
Lokshabha Election 2024: आम चुनाव की तारीखें और मुख्य बातें
Chaitra Navratri 2024: माँ की उपासना का पवित्र पर्व
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें आपकी अपनी वेबसाइट bavaalnews.com के साथ। इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।